भिंड SP ऑफिस में पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार, पीड़ित का आरोप- मोबाइल फोन छीनकर पीटा !

मध्य प्रदेश के भिंड जिले में पुलिस अधीक्षक के कार्यालय के अंदर तीन पत्रकारों के साथ मारपीट का मामले सामने आया है. पीड़ित पक्ष का आरोप है कि उन्हें ऑफिस के अंदर बुलाकर पहले मोबाइल छीना गया, फिर उनके साथ मारपीट की गई. उनका कहना है कि पुलिस अधिकारी किसी खबर को लेकर नाराज थे. हालांकि, एसपी ने इन आरोपों से इनकार किया है.

भिंड के एसपी असित यादव का कहना है कि तीनों पत्रकारों को भड़काया जा रहा है. यूट्यूब चैनल चलाने वाले प्रीतम सिंह राजावत, न्यूज पोर्टल चलाने वाले शशिकांत गोयल और न्यूज चैनल के लिए काम करने वाले अमरकांत चौहान ने जिला कलेक्टर को सौंपी गई शिकायत में आरोप लगाया कि 1 मई को एसपी ऑफिस के अंदर उनके साथ मारपीट की गई है.

पत्रकार प्रीतम सिंह राजावत के अनुसार, वो अपने चाचा की सेना से सेवानिवृत्ति के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम का निमंत्रण देने एसपी कार्यालय गए थे. हालांकि, एसपी ने उन पर पुलिस के खिलाफ रिपोर्ट प्रसारित करने का आरोप लगाया और उनकी पिटाई की गई. राजावत ने इसके बाद शशिकांत गोयल को फोन किया, जो एसपी कार्यालय पहुंचे.

शशिकांत गोयल ने दावा किया कि एक सहायक उपनिरीक्षक ने उनके साथ भी मारपीट कर दी. पत्रकार अमरकांत चौहान ने बताया कि एसपी ने उन्हें फोन किया और जब उन्होंने फोन नहीं उठाया तो एक एएसआई ने उन्हें फोन करके एसपी के चैंबर में बुलाया. उन्होंने आरोप लगाया कि जब वे वहां पहुंचे तो उनका मोबाइल फोन छीनकर दुर्व्यवहार किया गया.

इन आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए एसपी असित यादव ने दावा किया कि इन तीनों पत्रकारों ने बाद में एक वीडियो में कहा कि उन्होंने भावनाओं में बहकर आरोप लगाए. उन्होंने कहा, “मैं इस बारे में कुछ नहीं कह सकता कि उन्हें कौन उकसा रहा है.” राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता उमंग सिंघार ने इस घटना को लोकतंत्र के लिए शर्मनाक बताया है.

उन्होंने कहा, “भिंड में पुलिस द्वारा पत्रकारों की पिटाई, एसपी कार्यालय में बर्बरता और सबूतों को नष्ट करना इस बात का सबूत है कि आज सच को सामने लाना कितना मुश्किल हो गया है.” कांग्रेस नेता ने कहा कि यह लोकतंत्र की आवाज को दबाने की कोशिश थी. भाजपा सरकार को निष्पक्ष जांच कर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए, पत्रकारों पर हमले बंद हो सकें.

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि भिंड जिले में एसपी असित यादव द्वारा कई पत्रकारों को चप्पलों से पीटवाना क्या भाजपा शासित मध्यप्रदेश में नया लोकतंत्र है? उन्होंने एक्स पर लिखा, “जिस खाकी वर्दी को जनता की सुरक्षा के लिए पहनाया गया, वो अब आतंक और दमन का प्रतीक बनती जा रही है. खनन माफियाओं को लेकर सवाल पूछने पर अगर पत्रकारों को पुलिस थाने में चप्पलों से पीटा जाता है, तो आम जनता की क्या बिसात बचती है? मोहन यादव जी, आप लोकतांत्रिक राज्य के मुख्यमंत्री हैं या एक अघोषित तानाशाही के संचालक ?'”

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