क्या है Nuclear विंटर थ्योरी, जिससे बदल जाएगी पूरी दुनिया? रोककर रखी है एटम जंग

इस समय दुनिया ऐसे मोड़ पर खड़ी है, जहां जंग का साया मंडरा रहा है. भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा हुआ है, रूस और यूक्रेन की जंग हर दिन और भीषण होती जा रही है. वहीं, इजराइल और गाजा के बीच लगातार तबाही लिखी जा रही है.

इन जंग की गूंज के बीच एक बड़ा सवाल यह भी है- अगर आज के हालात में कहीं भी एटम फटा तो दुनिया का भविष्य क्या होगा? साइंस इस सवाल का जवाब ‘न्यूक्लियर विंटर थ्योरी’ के जरिए देता है.

क्या है न्यूक्लियर विंटर थ्योरी?

साल 1980 में वैज्ञानिकों ने ‘न्यूक्लियर विंटर थ्योरी’ पेश की थी. यह थ्योरी हिरोशिमा और नागासाकी पर हुए परमाणु हमलों के असर को देखते हुए विकसित किया गया था. इसके मुताबिर, अगर किसी भी स्तर पर परमाणु युद्ध होता है, तो इसका सीधा असर वैश्विक तापमान पर पड़ेगा.

वैज्ञानिकों का कहना है कि एक बड़े स्तर पर परमाणु विस्फोट के बाद धरती का औसत तापमान 10 सालों में लगभग 10 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है. इससे सूरज की रोशनी धरती तक नहीं पहुंचेगी, पेड़-पौधे मुरझा जाएंगे और वैश्विक खाद्य उत्पादन बुरी तरह प्रभावित होगा. इसका नतीजा सीधे तौर पर भुखमरी और वैश्विक खाद्य संकट के रूप में सामने आएगा.

अब की तबाही ज़्यादा भयावह होगी

आज के समय में जलवायु परिवर्तन को लेकर जो मॉडर्न क्लाइमेट मॉडल विकसित हुए हैं, वे दिखाते हैं कि अब अगर परमाणु युद्ध होता है, तो तबाही 1980 के मुकाबले कहीं ज़्यादा गंभीर होगी.

Science Alert की रिपोर्ट के मुताबिक, अगर रूस और अमेरिका के बीच परमाणु युद्ध हुआ, तो न केवल न्यूक्लियर विंटर आएगा, बल्कि समुद्र का तापमान भी गिर जाएगा. यानी धरती एक ‘न्यूक्लियर आइस एज’ में प्रवेश कर सकती है, जो हजारों सालों तक चल सकती है.

भारत-पाक युद्ध के अनुमान

वर्तमान में दुनिया के 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं- अमेरिका, रूस, भारत, पाकिस्तान, चीन, फ्रांस, ब्रिटेन, उत्तर कोरिया और इजराइल. विशेषज्ञों का मानना है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच परमाणु युद्ध होता है, तो लगभग 13 करोड़ लोगों की तत्काल मौत हो सकती है. जंग के दो साल बाद तक करीब 2.5 अरब लोग भुखमरी के शिकार हो सकते हैं.

अब तक कैसे बची दुनिया?

वैज्ञानिकों के मुताबिक, न्यूक्लियर विंटर थ्योरी ने ही अब तक दुनिया को एक बड़े परमाणु युद्ध से बचाए रखा है. पर्यावरण वैज्ञानिक एलन रोबॉक के अनुसार, इस थ्योरी ने वैश्विक स्तर पर एटमी हथियारों के उत्पादन और इस्तेमाल को रोकने में अहम भूमिका निभाई है. 1980 के दशक में दुनिया में करीब 65,000 परमाणु हथियार थे. आज ये संख्या घटकर 12,512 रह गई है.1986 में अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने भी इस थ्योरी के आधार पर परमाणु हथियारों पर नियंत्रण की दिशा में कदम उठाया था.

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