
भारत-पाकिस्तान के बीच पहलगाम हमले के बाद 14 दिन से जारी तनाव के बीच 259 जगहों पर बुधवार को मॉक ड्रिल होगी. इसके साथ ही बुधवार और गुरुवार को पाकिस्तान की सीमा पर भारतीय वायुसेना का युद्धाभ्यास होगा. चरण दर चरण भारत ने पिछले 14 दिन में बहुत तैयारी की है. अब पाकिस्तान के खिलाफ अंतिण चरण आ चुका है. जहां भारत ने हवाई युद्धाभ्यास के लिए NOTAM जारी किया है.
भारतीय वायुसेना भारत-पाकिस्तान सीमा पर रेगिस्तानी क्षेत्र और आस-पास के इलाकों में अभ्यास करेगी. इसमें राफेल, मिराज 2000 और सुखोई-30 सहित कई लड़ाकू विमान हिस्सा लेंगे. नोटम का मतलब होता है मतलब होता है कि ‘नोटिस टू एयरमैन’. इस नोटिस के माध्यम से एयरस्पेस बंद होने की जानकारी, रनवे बंद या लाइटों में बदलाव की स्थिति के बारे में तुरंत जानकारी दी जाती है. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ये अपनी तैयारियों को जांचने, आजमाने का आखिरी हिस्सा है?

क्या होती है सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल?
सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल एक ऐसा अभ्यास होता है जिसमें वास्तविक परिस्थितियों की तरह ही हवाई हमले के सायरन बजाए जाते हैं, शहरों को ब्लैकआउट किया जाता है, नागरिकों को सुरक्षित आश्रयों में ले जाया जाता है और इमरजेंसी टीमें अपनी भूमिका निभाती हैं. इसका मकसद नागरिकों में जागरूकता बढ़ाना और आपदा के समय घबराहट, भ्रम और नुकसान को कम करना होता है.
सिविल डिफेंस जिले वे विशेष रूप से चिन्हित जिले होते हैं, जहां आपदा या युद्ध जैसी आपात परिस्थितियों में नागरिकों की सुरक्षा और सहायता के लिए विशेष प्रबंधन और प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाती है. इन जिलों में सरकारी तंत्र, पुलिस, अर्धसैनिक बलों और नागरिक स्वयंसेवकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जाता है.
इस मॉक ड्रिल में आपको करने होंगे ये पांच काम-
1. प्रशासन के निर्देशों का पालन करें:
मॉकड्रिल के दौरान स्थानीय प्रशासन, पुलिस या नागरिक सुरक्षा विभाग जो भी निर्देश दें, उनका पूरी तरह पालन करें. इससे भ्रम और अव्यवस्था से बचा जा सकता है. एयर रेड सायरन को फॉलो करें.
2. जरूरी वस्तुएं साथ रखें:
अपने पास एक छोटा इमरजेंसी किट जरूर रखें, जिसमें पानी की बोतल, जरूरी दवाइयां, टॉर्च, रेडियो और मोबाइल पावर बैंक शामिल हो. घर में अपने पास कैश जरूर रखें.
3. शांत रहें और घबराएं नहीं:
यह केवल एक अभ्यास है. डर या अफवाह फैलाने से स्थिति बिगड़ सकती है. शांत रहकर सहयोग करना आपकी और दूसरों की सुरक्षा सुनिश्चित करेगा.
4. अफवाहों से बचें, सरकारी स्रोतों से जानकारी लें:
सोशल मीडिया या गैर-आधिकारिक स्रोतों पर भरोसा न करें. सिर्फ सरकारी वेबसाइट, टीवी, रेडियो या प्रशासनिक घोषणाओं पर ध्यान दें.
5. सहयोग करें और दूसरों की मदद करें:
यदि आपके आसपास कोई बुजुर्ग, बच्चा या असहाय व्यक्ति हो, तो उनकी सहायता करें. आपातकालीन सेवाओं के कार्य में बाधा न डालें, बल्कि सहयोग करें.
किस शहर में कहां और कितने बजे होगी मॉक ड्रिल
दिल्ली में शाम 4 बजे मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें हवाई हमले के सायरन बजाए जाएंगे. शाम 7 बजे ब्लैकआउट अभ्यास होगा, जिसमें सभी लाइटें बंद की जाएंगी. गाजियाबाद में 10 स्कूलों में सिविल डिफेंस मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें छात्रों को आपातकालीन परिस्थितियों में सुरक्षा उपायों की जानकारी दी जाएगी.
मुंबई में शाम 4 बजे मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें शहर के विभिन्न स्थानों पर 60 सायरन बजाए जाएंगे. दक्षिण मुंबई के एक मैदान में लोगों को इकट्ठा कर उन्हें युद्ध जैसे हालात में कैसे बचाव करना है, यह बताया जाएगा. ब्लैकआउट के संबंध में, सिविल डिफेंस सूत्रों का कहना है कि पूरी मुंबई में ब्लैकआउट करने से आम नागरिकों को परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है, इसलिए उपनगर के एक छोटे इलाके में ब्लैकआउट करने की योजना पर काम किया जा रहा है.
मिजोरम और नागालैंड में इस समय होगी मॉक ड्रिल
मिजोरम में शाम 4 बजे व्यापक मॉक ड्रिल का आयोजन किया जाएगा, जिसमें नागरिकों को आपातकालीन परिस्थितियों में सुरक्षा उपायों की जानकारी दी जाएगी. वहीं नागालैंड में 10 सिविल जिलों में शाम 4 बजे से मॉक ड्रिल आयोजित की जाएगी, जिसमें स्थानीय प्रशासन और नागरिकों की भागीदारी होगी. बिहार के विभिन्न जिलों में शाम 7:00 बजे से 7:10 बजे तक ब्लैकआउट किया जाएगा. इस दौरान सभी लाइटें बंद की जाएंगी और वॉर लाइट सिचुएशन से बचने की तैयारी की जाएगी.
पटना में शाम 6:58 बजे सायरन बजाया जाएगा, जिसके 2 मिनट बाद सभी लोग बत्ती बंद कर देंगे. शहर में 80 स्थानों पर सायरन बजाए जाएंगे. लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के 19 जोखिम वाले स्थानों को मॉक ड्रिल के लिए चिह्नित किया गया है.
श्रेणी-I : उच्च प्राथमिकता वाले स्थान
इन स्थानों को राष्ट्रीय सुरक्षा, रणनीतिक महत्त्व, औद्योगिक केंद्रों, सैन्य ठिकानों और आर्थिक गतिविधियों के कारण उच्च प्राथमिकता में रखा गया है. अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में पोर्ट ब्लेयर को प्राथमिकता दी गई है क्योंकि यह सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण द्वीप समूह है.
आंध्र प्रदेश से विशाखापट्टनम को चुना गया है, जो एक प्रमुख बंदरगाह और नौसैनिक अड्डा है. अरुणाचल प्रदेश में आलो (पश्चिम सियांग), ईटानगर और तवांग को सम्मिलित किया गया है जो सीमावर्ती एवं सामरिक दृष्टि से अति संवेदनशील हैं.
असम में कई प्रमुख स्थान जैसे हैयुलिंग, बोंगाईगांव, डिब्रूगढ़, धुबरी, गोलपारा, जोरहाट, शिवसागर, तिनसुकिया, तेजपुर, डिगबोई, डुलियाजन, गुवाहाटी (दिसपुर), रंगिया, नमरुप, नजीरा, नॉर्थ लखीमपुर, और नुमालिगढ़ शामिल हैं जो औद्योगिक, सैन्य और भौगोलिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं.
बिहार के बरौनी, कटिहार, पटना, पूर्णिया और बेगूसराय को चयनित किया गया है जो औद्योगिक और रणनीतिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं. चंडीगढ़ एक केंद्र शासित प्रदेश एवं प्रशासनिक राजधानी होने के कारण उच्च प्राथमिकता में है. छत्तीसगढ़ से दुर्ग (भिलाई) को चुना गया है जो इस्पात उद्योग और औद्योगिक गतिविधियों का केंद्र है.
दादरा और नगर हवेली से सिलवासा और दमन और दीव से दमन को सूचीबद्ध किया गया है जो विशेष आर्थिक क्षेत्र होने के साथ औद्योगिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं. दिल्ली (नई दिल्ली सहित) देश की राजधानी होने के कारण स्वाभाविक रूप से प्राथमिकता में है. गोवा के उत्तर (पणजी) और दक्षिण गोवा (मुरमुगाओ, वास्को, डाबोलिम) शामिल हैं, जहाँ सामरिक नौसैनिक ठिकाने और बंदरगाह स्थित हैं.
गुजरात के अहमदाबाद, सूरत, वडोदरा, काकरापार, जामनगर, गांधीनगर, भावनगर, कांडला, नालिया, अंकलेश्वर, ओखा और वाडिनार को शामिल किया गया है, जो औद्योगिक, बंदरगाह और परमाणु क्षेत्रों के रूप में महत्वपूर्ण हैं.
हरियाणा, J-K, झारखंड के इन इलाकों में होगी मॉक ड्रिल
हरियाणा के अंबाला, फरीदाबाद, गुरुग्राम, हिसार, पंचकूला, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत और यमुनानगर को सूची में रखा गया है क्योंकि ये औद्योगिक और सैन्य ठिकानों से जुड़े हुए हैं. हिमाचल प्रदेश में शिमला, जो राज्य की राजधानी है, शामिल है.
जम्मू और कश्मीर (लद्दाख सहित) से अनंतनाग, पुलवामा, बडगाम, बारामूला, डोडा, जम्मू, कारगिल, कठुआ, कुपवाड़ा, लेह, पुंछ, राजौरी, श्रीनगर, उधमपुर, सांबा, अखनूर, उरी, नौशेरा, सुंदरबनी और अवंतीपुर जैसे सीमावर्ती और सैन्य दृष्टि से महत्वपूर्ण जिले सूचीबद्ध हैं.
झारखंड के बोकारो, गोमिया, जमशेदपुर और रांची को शामिल किया गया है, जो औद्योगिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से महत्त्वपूर्ण हैं. कर्नाटक के बेंगलुरु (शहरी), मल्लेश्वरम और रायचूर को शामिल किया गया है, जो सूचना प्रौद्योगिकी और औद्योगिक दृष्टि से अग्रणी हैं. केरल के कोच्चि और तिरुवनंतपुरम को शामिल किया गया है, जहाँ नौसैनिक अड्डे और प्रशासनिक गतिविधियाँ होती हैं.
लक्षद्वीप में कवरत्ती को सामरिक दृष्टि से प्राथमिकता दी गई है. मध्य प्रदेश में भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर और कटनी जैसे प्रमुख प्रशासनिक और औद्योगिक केंद्र शामिल हैं. महाराष्ट्र के मुंबई, उरण, तारापुर, ठाणे, पुणे, नासिक, रोहन-धाटयो-नगोतने, मोनमाड, सिन्नर, थाल-वैशोट, पिंपरी-चिंचवड़ प्रमुख शहरी और औद्योगिक केंद्र हैं.
मणिपुर में इम्फाल, चुराचांदपुर, उखरुल, मोरेह और निंगथौखोंग शामिल हैं जो सीमावर्ती और सामरिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं. मेघालय के शिलांग, जवाई और तुरा भी रणनीतिक और जनजातीय संवेदनशील क्षेत्र हैं.
मिजोरम से आइज़ॉल, नगालैंड से दीमापुर, कोहिमा, मोकोकचुंग, मोन, फेक, तुएनसांग, वोखा, जुन्हेबोटो, किफिरे, पेरेन जैसे सीमावर्ती जिले भी शामिल हैं. ओडिशा के तलचर, हिराकुंड, पारादीप, राउरकेला, बालासोर, कोरापुट, भुवनेश्वर, गोपालपुर महत्त्वपूर्ण औद्योगिक और बंदरगाह क्षेत्र हैं. पुदुचेरी को भी प्रशासनिक एवं रणनीतिक दृष्टि से प्राथमिकता दी गई है.
पंजाब, राजस्थान, बंगाल के ये क्षेत्र चिह्नित
पंजाब के अमृतसर, भटिंडा, फिरोजपुर, गुरदासपुर, रूपनगर, संगरूर, होशियारपुर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला, पठानकोट, आदमपुर, बरनाला, भाखड़ा-नंगल, हलवारा, कोटकपूरा, बटाला, मोहाली, अबोहर, फरीदपुर को शामिल किया गया है, जो रक्षा और उद्योगों के लिए जाने जाते हैं.
राजस्थान के अजमेर, अलवर, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, गंगानगर, फुलेरा, नागौर, जालोर, ब्यावर, हनुमानगढ़, जयपुर, लालगढ़, जैसलमेर, सवाई माधोपुर, जोधपुर, उदयपुर, सीकर, नाल, सूरतगढ़, आबू रोड, नसीराबाद, भिवाड़ी, पाली, भीलवाड़ा, कोटा, रावतभाटा – ये सभी सैन्य, औद्योगिक या सीमावर्ती दृष्टि से महत्त्वपूर्ण हैं.
सिक्किम का गंगटोक, तमिलनाडु से चेन्नई और कल्पक्कम, तेलंगाना से हैदराबाद, त्रिपुरा से अगरतला, उत्तर प्रदेश से बुलंदशहर (नरोरा), आगरा, इलाहाबाद, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर, वाराणसी, बक्शी का तालाब, मुगलसराय, सरसावा, बागपत, मुजफ्फरनगर को शामिल किया गया है.
उत्तराखंड का देहरादून और पश्चिम बंगाल के कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपाईगुड़ी, मालदा, सिलीगुड़ी, कोलकाता, दुर्गापुर, हल्दिया, हाशीमारा, खड़गपुर, बर्नपुर-आसनसोल, फरक्का-खेजुरीघाट, चित्तरंजन, बालुरघाट, अलीपुरद्वार, रायगंज, इस्लामपुर, दिनहाटा, मखलीगुंज, माथाभांगा, कालीमपोंग, जलढाका, कर्सियांग, कोलाघाट, बर्दवान, बीरभूम, मेदिनीपुर, हावड़ा, हुगली, मुर्शिदाबाद – ये सभी विविध दृष्टियों से प्राथमिकता में हैं.
श्रेणी-II : मध्यम प्राथमिकता वाले स्थान
ये स्थान अपेक्षाकृत कम संवेदनशील हैं लेकिन रणनीतिक, सामाजिक या औद्योगिक दृष्टि से इन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
असम से दरींग, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग, कोकराझार, गुजरात से भरूच, डांग्स, कच्छ, मेहसाणा, नर्मदा, नवसारी, हरियाणा से झज्जर, झारखंड से गोड्डा, साहिबगंज, महाराष्ट्र से औरंगाबाद, भुसावल, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग, और ओडिशा से भद्रक, ढेंकानाल, जगतसिंहपुर, केंद्रपाड़ा – ये सभी मध्यम प्राथमिकता में आते हैं.
श्रेणी-III : निम्न प्राथमिकता वाले स्थान
यह श्रेणी उन क्षेत्रों के लिए है जो अपेक्षाकृत कम जोखिम वाले माने जाते हैं. अरुणाचल प्रदेश से बोंडिला को निम्न प्राथमिकता में रखा गया है, जो भौगोलिक रूप से सीमावर्ती तो है, लेकिन वर्तमान में अत्यधिक संवेदनशील नहीं माना गया.