जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक और अन्य छह लोगों के खिलाफ किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट से जुड़े एक मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने चार्जशीट दायर की है. सीबीआई का कहना है कि हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट में 2,200 करोड़ रुपये के सिविल वर्क्स कॉन्ट्रैक्ट में धोखाधड़ी हुई है. इस मामले में सीबीआई में 2022 में FIR दर्ज किया था.
सीबीआई के चार्जशीट दायर करने के साथ ही किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट एक बार फिर चर्चा में आ गया है.
क्या है किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट ?
किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट जम्मू और कश्मीर के डोडा जिले के किश्तवाड़ तहसील में चेनाब नदी पर रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट है. निर्माणाधीन प्रोजेक्ट की क्षमता 624 मेगावाट बिजली उत्पादन की होगी जो राज्य की बिजली जरूरतों को पूरा करने में अहम भूमिका निभाएगी.
इस प्रोजेक्ट को चेनाब वैली पावर प्रोजेक्ट्स (CVPP) विकसित कर रही है. CVPP नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (NHPC, 51% फीसद हिस्सेदारी) और जम्मू और कश्मीर स्टेट पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (JKSPDC, 49% फीसद हिस्सेदारी) के बीच का संयुक्त उद्यम है.
पथरनक्की और किरू गांवों के पास स्थित इस प्रोजेक्ट में 135 मीटर ऊंचा कंक्रीट ग्रेविटी बांध, 6.5 किमी लंबा जलाशय और चार 156 मेगावाट वर्टिकल फ्रांसिस टर्बाइन बनाए जाएंगे. इस प्रोजेक्ट के तहत एक अंडरग्राउंड बिजलीघर भी बनाया जा रहा है. प्रोजेक्ट के 2025 में पूरा होने की संभावना है.
केंद्र और राज्य सरकार की तरफ से बनाया जा रहा यह प्रोजेक्ट भारत के सबसे महंगे प्रोजेक्ट्स में से एक है.
कितनी है किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट का लागत?
शुरू में किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट की अनुमानित लागत 4,287 करोड़ रुपये से अधिक थी लेकिन बाद में इसकी लागत में संशोधन कर इसे 5,300 करोड़ रुपये कर दिया गया.
प्रोजेक्ट के 2025 में पूरा होने की उम्मीद है. अधिकारियों का कहना है कि प्रोजेक्ट की प्रगति को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह तय समय पर पूरा हो जाएगा.
प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान को आपत्ति
भारत के किरू हाइड्रोपावर प्रोजेक्ट पर पाकिस्तान आपत्ति जताता रहा है. अगस्त 2021 में पाकिस्तान ने पहली बार इस प्रोजेक्ट की डिजाइन पर आपत्ति जताते हुए कहा था कि यह भारत और पाकिस्तान के बीच 1960 के सिंधु जल समझौते का उल्लंघन है.
हालांकि, भारत का कहना है कि यह प्रोजेक्ट किसी भी तरह से समझौते का उल्लंघन नहीं करता. सिंधु जल संधि के तहत, भारत को रावी, ब्यास और सतलज के पानी पर अधिकार मिला जबकि पाकिस्तान को सिंधु, झेलम और चेनाब के पानी तक पहुंच मिली.
हालांकि भारत को सिंधु, झेलम, चेनाब पर रन-ऑफ-द-रिवर प्रोजेक्ट्स बनाने की इजाजत है. समझौते में यह भी कहा गया है कि लेकिन पाकिस्तान भारत के प्रोजेक्ट्स पर जानकारी मिलने के तीन महीने के भीतर आपत्ति जता सकता है.
पाकिस्तान का कहना है कि इस तरह के प्रोजेक्ट्स से नदी के पानी के बहाव में कमी आएगी. पाकिस्तान के साथ हालिया तनाव के बाद भारत ने सिंधु जल समझौते को निलंबित कर दिया है जिससे पाकिस्तान में पानी की किल्लत होने लगी है. भारत ने समझौते को रद्द करने का फैसला 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए पाकिस्तान स्पॉन्सर आतंकी हमले के बाद लिया था जिसमें 26 लोगों की जान चली गई.